नवरात्रि के सातवें दिन ऐसे करें मां कालरात्रि का पूजन, मिलेगी परिवार को सुख-समृद्धि और सुरक्षा

 विनोद कुमार झा

॥ ॐ देवी कालरात्र्यै नमः ॥

नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना के लिए समर्पित होता है। नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है, जो शक्ति और विनाश की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। इस दिन को निशा पूजा के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें देवी के जन्म के साथ-साथ उनके अस्त्र-शस्त्र की पूजा की जाती है।

देवी कालरात्रि का स्वरूप : कालरात्रि देवी का स्वरूप अत्यंत भयानक और शक्तिशाली माना जाता है। उनका वर्ण काला है, खुले हुए बाल और तीन नेत्र हैं, जो त्रिलोक को प्रकाशित करते हैं। उनकी चार भुजाएँ होती हैं, जिनमें से दो में अस्त्र होते हैं और दो में अभय तथा वरदान मुद्रा होती है। वे गधे पर सवार रहती हैं और उनका स्वरूप बुरी शक्तियों का नाश करने वाला है।

देवी कालरात्रि को शुभंकारी भी कहा जाता है, क्योंकि वे भक्तों के सभी भय और कष्टों का नाश करती हैं। उनकी पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और सभी प्रकार के भय नष्ट हो जाते हैं।

निशा पूजा का महत्व : निशा पूजा नवरात्रि के सातवें दिन की रात को की जाती है। यह पूजा विशेष रूप से तांत्रिक साधनाओं और सिद्धियों की प्राप्ति के लिए की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस रात को देवी की कृपा से सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है। इस पूजा में देवी के अस्त्र-शस्त्र की भी पूजा की जाती है, जिससे वे अधिक शक्ति प्राप्त करती हैं और अपने भक्तों की रक्षा करती हैं।

इस प्रकार करें माता की पूजा?

माता की प्रतिमा या चित्र की स्थापना करें : माता कालरात्रि की मूर्ति या चित्र को किसी स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें।

शुद्धिकरण और संकल्प लें : स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और माता की पूजा का संकल्प लें।

दीप प्रज्वलित करें : घी का दीपक जलाएं और धूप-दीप से माता की आरती करें।

 माता को प्रसन्न करने के लिए उनके निम्नलिखित मंत्र का जाप करें: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नमः

अस्त्र-शस्त्र पूजन : माता के हथियारों और अस्त्रों की पूजा करें।

56 भोग अर्पित करें : माता को 56 प्रकार के भोग अर्पित करें, जिसमें फल, मिठाई, दूध, मेवे आदि शामिल होते हैं।

सिंदूर, लाल पुष्प और काले तिल अर्पित करें : माता को काले तिल, गुड़, और नारियल अर्पित करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

भोग प्रसाद वितरण करें : पूजा के बाद माता को अर्पित प्रसाद भक्तों में बांटें।

क्या होता है निशा पूजा के लाभ ?

- भय, शत्रु और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है।

- आध्यात्मिक जागरूकता और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

- आर्थिक और भौतिक समृद्धि प्राप्त होती है।

- तंत्र-मंत्र और टोना- टापर के प्रभाव से रक्षा होती है।

- घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

कालरात्रि पूजा से जुड़ी मान्यताएँ

ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति देवी की पूजा पूरे श्रद्धा भाव से करता है, उसे किसी भी प्रकार की तामसिक शक्तियाँ प्रभावित नहीं कर सकतीं।

- इस दिन काले रंग का वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह माता कालरात्रि को प्रिय है।

- रात्रि में दीपदान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

नवरात्रि का सातवां दिन देवी कालरात्रि को समर्पित होता है, जो भक्तों के सभी संकट हरती हैं। इस दिन निशा पूजा का विशेष महत्व होता है और यह तंत्र साधना के लिए भी अत्यंत शुभ मानी जाती है। देवी की कृपा से हर प्रकार की विपत्ति दूर होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। माता कालरात्रि की पूजा से मनुष्य निडर, शक्तिशाली और आध्यात्मिक रूप से उन्नत होता है।

 जय माता दी!


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