तपिश में तपता युवा: शिक्षा, रोजगार और संघर्ष

गर्मी का मौसम जब पूरे शबाब पर होता है, धरती की तपती रेत जैसे मानो मनुष्य की सहनशक्ति को चुनौती देती हो। ऐसे ही जीवन की राह में भी कुछ ऐसे दौर आते हैं जब युवा वर्ग खुद को एक तपते रेगिस्तान में पाता है जहां आगे का रास्ता धुंधला, कठिन और थकाने वाला होता है। पर जैसे हर तपिश के बाद बारिश राहत देती है, वैसे ही कठिन परिश्रम, संघर्ष और सही दिशा में किए गए प्रयासों के बाद जीवन भी सुख की ठंडी बयार लेकर आता है।

आज का युवा केवल सपना नहीं देखता, वह उस सपने को जीने की कोशिश करता है। वो सुबह की नींद को कुर्बान करता है, सोशल मीडिया के शोर से दूरी बनाता है और गर्मी की दहकती दोपहरों में भी किताबों से दोस्ती बनाए रखता है। चाहे वो गांव का एक सामान्य छात्र हो या शहर का कोई तकनीकी स्नातक हर कोई अपने भविष्य को बेहतर बनाने के लिए जूझ रहा है। यह मेहनत केवल खुद के लिए नहीं, बल्कि परिवार की उम्मीदों, समाज की भलाई और देश की प्रगति के लिए होती है।

वर्तमान समय में युवा केवल पारंपरिक शिक्षा तक सीमित नहीं रह गए हैं। वे उच्च शिक्षा की अहमियत समझ चुके हैं। आज इंजीनियरिंग, चिकित्सा, प्रबंधन, कानून, डेटा साइंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में गहरी दिलचस्पी दिखाई जा रही है। अच्छे कॉलेज और प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी तक पहुँचने की चाहत उन्हें हर कठिनाई पार करने की ताकत देती है। प्रवेश परीक्षाएँ, सेमिनार, प्रोजेक्ट्स, इंटर्नशिप ये सब उनके समर्पण का प्रमाण हैं।

इन छात्रों का संघर्ष सिर्फ शैक्षणिक नहीं होता, कई बार आर्थिक, सामाजिक और पारिवारिक बाधाएँ भी उनका रास्ता रोकती हैं। लेकिन यही वे क्षण होते हैं जहाँ उनका धैर्य, आत्मबल और विश्वास उन्हें बाकी लोगों से अलग करता है। जिस छात्र के पास फीस भरने के पैसे नहीं हैं, वो अख़बार बाँटकर, ट्यूशन पढ़ाकर, या पार्ट टाइम काम करके भी अपनी पढ़ाई जारी रखता है। यही वो तप है, जो आगे चलकर उसे सोने जैसा चमकदार बनाता है।

सरकार का दायित्व है कि वह इन युवा मनों को सहारा दे। शिक्षा लोन को आसान और पारदर्शी बनाना, ग्रामीण और पिछड़े इलाकों के छात्रों को विशेष सहायता देना, डिजिटल शिक्षा को सुलभ बनाना ये कदम भविष्य के भारत की नींव मजबूत कर सकते हैं। रोजगार मेला, स्टार्टअप प्रोत्साहन योजना, और स्किल इंडिया जैसे कार्यक्रम युवाओं को सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा भी देते हैं।

सिर्फ शिक्षा ही नहीं, सही समय पर उचित रोजगार भी ज़रूरी है। जब एक छात्र सालों की पढ़ाई के बाद बेरोजगारी की मार झेलता है, तब उसका मनोबल टूटने लगता है। इसलिए यह बेहद आवश्यक है कि सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर युवाओं के लिए ठोस नौकरी की व्यवस्था करें। इनोवेशन, तकनीकी प्रशिक्षण और उद्योग से जुड़ी पढ़ाई को बढ़ावा देकर हम उन्हें रोज़गार योग्य बना सकते हैं।

हर कठिनाई, हर गर्मी की दोपहर, हर आंसू और हर रात की पढ़ाई, सब कुछ एक दिन सफलता के रूप में खिल उठता है। युवा जब सही दिशा, सही साधन और सही मार्गदर्शन के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है, तो वह सिर्फ अपनी ज़िंदगी नहीं बदलता, बल्कि पूरे राष्ट्र के भविष्य को संवारता है। यह तपिश सिर्फ चुनौती नहीं, चरित्र निर्माण की प्रक्रिया है। यही वह संघर्ष है, जिसमें भारत का उज्ज्वल भविष्य आकार ले रहा है।

(लेखक: विनोद कुमार झा)

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