तकनीकी साझेदारी की नई दिशा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और टेस्ला-संस्थापक एलन मस्क के बीच हाल ही में हुई टेलीफोनिक बातचीत न केवल दो वैश्विक नेताओं के संवाद का प्रतीक है, बल्कि भारत और अमेरिका के बीच प्रौद्योगिकी साझेदारी की एक नई दिशा की ओर इशारा करती है। यह संवाद महज शिष्टाचार का आदान-प्रदान नहीं था, बल्कि यह भारत के तकनीकी आत्मनिर्भरता, नवाचार और वैश्विक उद्योगों के साथ गहरे जुड़ाव की नीति का हिस्सा है।फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री मोदी के वाशिंगटन दौरे के दौरान एलन मस्क और उनके परिजनों से हुई विशेष मुलाकात ने यह स्पष्ट कर दिया था कि भारत अब केवल एक उपभोक्ता बाजार नहीं, बल्कि वैश्विक नवाचार का एक आकर्षक केंद्र बन चुका है। उसी वार्ता की कड़ी में हालिया टेलीफोनिक बातचीत ने यह संकेत दिया है कि भारत और मस्क के नेतृत्व वाली कंपनियों के बीच संबंध अब रणनीतिक गहराई की ओर बढ़ रहे हैं।

एलन मस्क की दो प्रमुख योजनाएं स्टारलिंक के माध्यम से भारत में सैटेलाइट-आधारित दूरसंचार सेवा और टेस्ला के जरिए इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में निवेश –भारत के तकनीकी एवं औद्योगिक परिदृश्य को पुनर्परिभाषित कर सकती हैं। स्टारलिंक की भारत में मौजूदगी न केवल दूरस्थ क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की बड़ी समस्या को हल कर सकती है, बल्कि डिजिटल इंडिया के सपनों को वास्तविक रूप भी दे सकती है। वहीं, टेस्ला का भारत में निवेश स्वच्छ ऊर्जा, हरित गतिशीलता और स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। इस वार्ता से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत अब वैश्विक निवेशकों के लिए केवल एक बाजार नहीं, बल्कि एक साझेदार राष्ट्र है – जो नवाचार, अनुसंधान और दीर्घकालिक सहयोग में विश्वास करता है। भारत सरकार की पारदर्शी नीतियाँ, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं (PLI schemes) और डिजिटल ढांचे की सुदृढ़ता भारत को इस दशक की सबसे आकर्षक निवेश भूमि में बदल रही हैं।

यह समझना जरूरी है कि एलन मस्क की कंपनियों का भारत में आगमन केवल तकनीकी क्षेत्र तक सीमित नहीं रहेगा। इससे संबंधित क्षेत्रों – जैसे कि रिन्यूएबल एनर्जी, ऑटोमोबाइल निर्माण, आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) तथा इंजीनियरिंग व अनुसंधान – में भी भारी बदलाव आएगा। इससे भारत में युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे, स्टार्टअप संस्कृति को प्रोत्साहन मिलेगा और देश की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में भी वृद्धि होगी। मस्क की कंपनियों की गंभीरता को इस बात से भी समझा जा सकता है कि स्टारलिंक के वरिष्ठ अधिकारी हाल ही में भारत आए और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात की। साथ ही टेस्ला की ओर से पहला स्टोर खोलने की प्रक्रिया शुरू कर देना और मॉडल Y जैसी किफायती कारों की टेस्ट ड्राइव भारत में शुरू करना इस दिशा में ठोस कदम हैं। प्रधानमंत्री मोदी का यह कहना कि भारत अमेरिका के साथ तकनीक और अन्वेषण के क्षेत्र में साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है, इस बात को रेखांकित करता है कि भारत अब तकनीक के उपभोक्ता से आगे बढ़कर तकनीक का निर्माता और दिशा-निर्देशक बनना चाहता है।

इस पहल की आलोचना करने वाले भी होंगे जो यह कह सकते हैं कि विदेशी कंपनियों के आगमन से घरेलू उद्योगों को नुकसान हो सकता है। परंतु यह तथ्य भी उतना ही प्रासंगिक है कि प्रतिस्पर्धा नवाचार को जन्म देती है और भारत की बढ़ती तकनीकी क्षमता और मेक इन इंडिया जैसी योजनाएं हमारे घरेलू उद्योगों को इस प्रतिस्पर्धा में टिके रहने और विकसित होने का अवसर देंगी। मोदी-मस्क वार्ता केवल दो व्यक्तियों की बातचीत नहीं, बल्कि भारत और विश्व के तकनीकी भविष्य के बीच एक सेतु का निर्माण है। यह एक ऐसा क्षण है जहां भारत विज्ञान, तकनीक और उद्योग के क्षेत्र में अपने आत्मनिर्भर और वैश्विक नेतृत्व की ओर निर्णायक कदम बढ़ा रहा है। इस सहयोग से भारत का डिजिटल और हरित भविष्य सशक्त, सुलभ और समावेशी बन सकता है – बशर्ते हम इस अवसर को दूरदृष्टि, तैयारी और राष्ट्रीय हित की भावना के साथ अपनाएं।

- संपादक

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