कालांवाली (सुरेश जोरासिया) । क्षेत्र के गांव ख्योवाली में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी संत रविदास & डॉ बी आर अंबेडकर सभा द्वारा बहुत ही श्रद्धा व सादगी से मनाई गई डॉ. बी.आर. अंबेडकर सभा के प्रधान मास्टर रमन कुमार ने बाबा साहेब के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि बीआर अंबेडकर का पूरा नाम भीमराव रामजी अंबेडकर है और उनका जन्म 14 अप्रैल, 1891 को हुआ था। अंबेडकर अपने पिता रामजी माकोजी सकपाल और मां भीमाबाई सकपाल की 14वीं संतान थे। वे एकमात्र ऐसे बच्चे थे जिन्होंने उच्च शिक्षा पूरी की। 1897 में, अंबेडकर एलफिंस्टन हाई स्कूल में दाखिला लिया।अंबेडकर ने आगे बढ़कर अपनी हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की और लंदन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त की। अंबेडकर को दलित होने के कारण बहुत भेदभाव का सामना करना पड़ा। उस समय समाज में पिछड़े वर्गों की स्थिति बहुत दयनीय थी। उन्हें अछूत कहा जाता था और जब वे स्कूल जाते थे तो उन्हें दूसरे बच्चों के साथ बैठने या खाने की अनुमति नहीं थी।डॉ. बी.आर. अंबेडकर आगे चलकर एक समाज सुधारक और कार्यकर्ता बन गए, जिन्होंने दलितों के खिलाफ़ किए जाने वाले भेदभाव के खिलाफ़ लड़ाई लड़ी। 1935 में, उन्होंने 'द एनीहिलेशन ऑफ़ कास्ट' जैसी किताबें प्रकाशित कीं, जिसमें रूढ़िवादी हिंदू मान्यताओं पर सवाल उठाए गए थे, और अगले ही साल उन्होंने 'हू वेयर द शूद्राज़?' नाम से एक और किताब प्रकाशित की, जिसमें उन्होंने बताया कि अछूतों का गठन कैसे हुआ।डॉ. बी.आर. अंबेडकर के काम के प्रति समर्पण ने उन्हें भारत के पहले कानून मंत्री की कुर्सी दिलाई। 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, उन्हें भारतीय संविधान बनाने के लिए चुना गया और उन्हें संविधान की मसौदा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वर्ष 1956 में, डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपना लिया, क्योंकि वे इसे सबसे वैज्ञानिक धर्म मानते थे। धर्म परिवर्तन की वर्षगांठ के 2 महीने के भीतर ही 1956 में उनकी मृत्यु हो गई।
सभा के सचिव मास्टर सतीश विराट ने अपने सम्बोधन बताया कि डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने हमारे देश के लिए बहुत योगदान दिया है। वे एक अग्रणी सुधारक और कार्यकर्ता थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन भारत में दलितों और अन्य सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों की बेहतरी के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने हमेशा दलितों पर होने वाले भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने दलितों के समर्थन में नए कानून बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई और उन्हें शिक्षा का अवसर और समान अधिकार दिलाने का काम किया।इस मौके पर परवीन विरट, विजय विरट,भीम आर्मी ब्लॉक प्रधान सुरेश विरट,रोशन गुजर, एडवोकेट सुशीला विरट,योगेश पंवार वर्द्धमान जैन स्कूल जलालआना ,मनोज भंडारी गणमान्य नागरिक व स्कूली बच्चे मौजूद रहे।
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