अब नहीं झुकेंगे "ध्रुव" के साथ भारत की प्रतिज्ञा

विनोद कुमार झा

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में बैसरन घाटी पर हुआ आतंकवादी हमला हमारे राष्ट्र की आत्मा पर प्रहार है। 27 निर्दोष पर्यटकों की हत्या जिसमें विदेशी नागरिक भी शामिल हैं के बाद अब कोई भी संदेह नहीं बचा कि आतंक का यह चेहरा न सिर्फ भारत के सामाजिक सौहार्द को कुचलना चाहता है, बल्कि हमारे वैश्विक छवि को भी आघात पहुँचाने का षड्यंत्र कर रहा है। लेकिन दुख की इस धूल में से उगती है प्रतिरोध की एक नई रेखा भारतीय सेना का “फुल एक्शन मोड” और उसमें अग्रणी बना देसी तकनीक का प्रतीक “एचएएल ध्रुव” हेलीकॉप्टर।

ध्रुव, नाम ही जैसे किसी संकल्प का परिचायक हो अडिग, अचल, अजेय। और यही भाव इस घातक हमले के बाद भारतीय सेना के दृष्टिकोण में दिखाई दे रहा है। पहलगाम और श्रीनगर के संवेदनशील क्षेत्रों में ध्रुव हेलीकॉप्टरों की तैनाती केवल एक रणनीतिक कदम नहीं, बल्कि आतंक के खिलाफ भारत की चेतावनी है अब न तो सहेंगे और न चुप रहेंगे।

एचएएल द्वारा निर्मित यह स्वदेशी हेलीकॉप्टर किसी भी पहाड़ी और दुर्गम भू-भाग में कारगर ऑपरेशन का पर्याय बन चुका है। चाहे वह सियाचिन की बर्फीली चोटी हो या श्रीनगर की घाटी, ध्रुव हेलीकॉप्टर दुश्मन की हर हरकत पर नजर रखने में सक्षम है। इसकी नाइट विजन टेक्नोलॉजी और टोही सेंसर आतंकियों के लिए अंधेरे की ओट में छिपना असंभव बना देते हैं। यह वही हेलीकॉप्टर है जो भारतीय आत्मनिर्भरता का परिणाम है देशी तकनीक, देशी जरूरतों और देशी जज्बे का मेल। और आज यही ध्रुव आतंक के खिलाफ हमारे सुरक्षा कवच का सबसे ऊंचा स्तंभ बन चुका है।

अब संवाद नहीं, सुरक्षा प्राथमिकता है : जिस तरह से आतंकियों ने एक-एक कर लोगों की पहचान पूछकर उन्हें मारा, वह इस हमले को मात्र एक हादसे की श्रेणी से ऊपर उठाकर एक सटीक ‘आतंकी मिशन’ का रूप दे देता है। और ऐसे में जवाब भी अब उतना ही व्यावसायिक, रणनीतिक और तीव्र होना चाहिए। ध्रुव की तैनाती केवल सैन्य रणनीति नहीं, बल्कि राष्ट्रीय इच्छा की झलक है। यह एक स्पष्ट संकेत है कि भारत अब केवल सुरक्षा बलों की गिनती नहीं, बल्कि उनकी क्षमता में विश्वास करता है। यह एक कड़ा संदेश है कि अब कोई भी हमारे नागरिकों की सुरक्षा को हल्के में नहीं ले सकता।

कश्मीर में अमन की बहाली की ओर एक ठोस कदम: पर्यटन, कश्मीर की आर्थिकी और सामाजिक पुनर्जीवन की धुरी है। लेकिन बार-बार आतंकी हमलों के जरिए इसे कमजोर करने की कोशिशें की जाती रही हैं। इस हमले से पैदा हुए डर के माहौल को केवल सुरक्षा के भरोसे से ही मिटाया जा सकता है और ध्रुव हेलीकॉप्टर की तैनाती इस दिशा में एक प्रभावी मनोवैज्ञानिक और भौगोलिक कार्रवाई है। यह सिर्फ निगरानी नहीं, बल्कि “हम तैयार हैं” का सशक्त उद्घोष है। अब देश को एकजुट रहना होगा।

देशवासियों के रूप में हमारा कर्तव्य है कि हम अपने सुरक्षा बलों के साथ खड़े हों। हमें राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर यह समझना होगा कि आतंकवाद की कोई जाति, मजहब या क्षेत्र नहीं होता उसका एक ही उद्देश्य होता है: भय फैलाना, और हमसे हमारी शांति छीन लेना। लेकिन जब तक हमारे पास ध्रुव जैसी तकनीक, और उससे भी बड़ी बात ध्रुव जैसा संकल्प है, तब तक आतंक के अंधकार को कोई भी ताकत हमारे आसमान से नहीं ढक सकती। आज का भारत डरकर नहीं, ध्रुव बनकर जीने को तैयार है।

– संपादक 

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