पूजा-पाठ में फूल-माला क्यों चढ़ाई जाती है?

 विनोद कुमार झा

फूल और माला केवल सजावट का माध्यम नहीं हैं, बल्कि वे पूजा-पाठ में एक गहरी आध्यात्मिक भूमिका निभाते हैं। वे भक्त और भगवान के बीच प्रेम, शुद्धता और भक्ति की एक कड़ी हैं। इसीलिए सदियों से भारतीय परंपरा में फूल और माला चढ़ाने की प्रथा चली आ रही है। और इस प्रक्रिया में फूल और माला का प्रयोग अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। फूल और माला न केवल देवी-देवताओं की पूजा का हिस्सा होते हैं, बल्कि वे श्रद्धा, प्रेम और भक्ति की प्रतीक भी हैं।  

फूल प्रकृति की सबसे सुंदर और शुद्ध रचनाओं में से एक हैं। जब हम किसी देवी-देवता को फूल अर्पित करते हैं, तो यह इस बात का प्रतीक होता है कि हम उन्हें अपने जीवन की सबसे सुंदर और निर्मल चीज़ अर्पित कर रहे हैं। फूलों की सुगंध पूजा स्थल के वातावरण को शुद्ध और पवित्र बनाती है। इससे मन शांत होता है और ध्यान केंद्रित करना सरल हो जाता है। माला के रूप में फूलों को सजाकर चढ़ाने से पूजा में सौंदर्य और आकर्षण बढ़ता है।

हर फूल का एक विशेष प्रतीकात्मक अर्थ होता है। जैसे, कमल लक्ष्मी जी और सरस्वती जी को प्रिय होता है, जो ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक है। बेलपत्र शिव जी को प्रिय होते हैं, जो तपस्या और त्याग का प्रतीक माने जाते हैं। जब कोई भक्त माला बनाकर या फूलों को सजाकर ईश्वर को अर्पित करता है, तो वह अपना समय, श्रम और प्रेम अर्पित करता है। यह समर्पण की एक सुंदर अभिव्यक्ति है। शास्त्रों और पुराणों में फूलों और मालाओं का महत्व बताया गया है। यह माना जाता है कि पुष्प अर्पण से देवता प्रसन्न होते हैं और भक्त को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

भक्तजन अपनी भावना के अनुसार कोई भी फूल भगवान को अर्पित कर सकते हैं, परंतु शास्त्रों में कुछ विशेष फूलों को विशिष्ट देवी-देवताओं के लिए उपयुक्त बताया गया है। आइए जानें कुछ प्रमुख देवी-देवताओं और उनके प्रिय फूलों के बारे में:

भगवान विष्णु: भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है। उनके पूजन में तुलसीदल अर्पित करना अनिवार्य माना जाता है। इसके अतिरिक्त पीले फूल जैसे कनेर या गुलदाऊदी भी भगवान विष्णु को समर्पित किए जाते हैं।

भगवान शिव: भगवान शिव को बेलपत्र, आक, धतूरा और सफेद फूल प्रिय हैं। विशेष रूप से बिल्वपत्र अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं। शिव की पूजा में केवड़ा और कुमुद भी उपयोगी माने जाते हैं।

 देवी लक्ष्मी: देवी लक्ष्मी को कमल का फूल सबसे प्रिय है। कमल समृद्धि और सौंदर्य का प्रतीक है। इसके अतिरिक्त गुलाब और लाल फूल भी उन्हें अर्पित किए जाते हैं।

 देवी दुर्गा: माँ दुर्गा को लाल रंग के फूल, विशेष रूप से गुड़हल (जवाकुसुम), बहुत प्रिय हैं। यह शक्ति, ऊर्जा और विजय का प्रतीक माना जाता है।

 श्री गणेश:  गणपति को दूर्वा घास और शमी के पत्ते विशेष प्रिय हैं। इसके अलावा, गेंदे का फूल भी गणेश पूजा में आमतौर पर उपयोग होता है।

 माँ सरस्वती: ज्ञान और विद्या की देवी माँ सरस्वती को श्वेत रंग अत्यंत प्रिय है। इसलिए उन्हें सफेद कमल, श्वेत कनेर या मोगरा जैसे सुगंधित श्वेत पुष्प अर्पित किए जाते हैं। फूलों की माला बनाकर भगवान को पहनाने का प्रचलन भी अत्यंत पुरातन है। यह माला भक्त की सेवा भावना, भक्ति और प्रेम की अभिव्यक्ति होती है। यह माना जाता है कि फूलों की माला पहनाने से ईश्वर का साक्षात स्पर्श प्राप्त होता है। अनेक बार पूजा के पश्चात यही माला प्रसाद स्वरूप भक्तों में बांटी जाती है।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण के अनुसार, फूलों की भांति ही भक्त को भी विनम्र, सुंदर, सुगंधित (अर्थात अच्छे विचारों से युक्त) और क्षणभंगुर जीवन को समझने वाला होना चाहिए। फूल हमें सिखाते हैं कि जीवन में क्षणिकता को समझकर भी दूसरों के लिए सौंदर्य और सुगंध फैलाना चाहिए। पूजा-पाठ में फूल और माला का प्रयोग केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक गहरी आध्यात्मिक साधना का माध्यम है। यह हमारे मन के भाव, श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक है। यही कारण है कि आज भी मंदिरों, घरों और त्योहारों में फूलों का विशेष स्थान है।


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